एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 4 चुंबकों को जानें
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 4 चुंबकों को जानें के प्रश्न उत्तर, अभ्यास के सभी सवाल जवाब शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए यहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं। इस अध्याय में चुंबक और उसके गुणों के बारे में जानकारी दी गई है। चुंबक के प्रयोगों को समझने और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए यहाँ सरल भाषा में हल प्रस्तुत किए गए हैं।
कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 4 एनसीईआरटी समाधान
कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 4 चुंबकों को जानें के प्रश्न उत्तर
कक्षा 6 विज्ञान जिज्ञासा अध्याय 4 चुंबकों को जानें का परिचय
क्या आप जानते है कि चुंबक क्या होते हैं? चुंबक एक ऐसा पदार्थ है जो लोहे, निकेल और कोबाल्ट जैसे धातुओं को आकर्षित करता है। पुरातन काल में, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले चुंबकों का उपयोग किया जाता था, जिन्हें ‘चुंबक पत्थर’ कहा जाता था। समय के साथ, वैज्ञानिकों ने लोहे के टुकड़ों से कृत्रिम चुंबक बनाने की विधि खोजी। आज, चुंबक विभिन्न आकारों और प्रकारों में उपलब्ध होते हैं, जैसे कि छड़ चुंबक, U-आकार चुंबक, और वलय चुंबक। ये चुंबक हमारे रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होते हैं, जैसे कि पेंसिल बॉक्स, स्टिकर और खिलौनों में।
चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थ
सभी पदार्थ चुंबक से आकर्षित नहीं होते। कुछ पदार्थ, जैसे लोहा, निकेल और कोबाल्ट, चुंबकीय होते हैं, यानी ये चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं। वहीं, लकड़ी, प्लास्टिक और कांच जैसे पदार्थ चुंबकीय नहीं होते। इन पदार्थों को अचुंबकीय कहा जाता है। इस अध्याय में, छात्रों को एक प्रयोग के माध्यम से विभिन्न पदार्थों की चुंबकीयता की पहचान कराई गई है, जिसमें उन्हें एक चुंबक के पास विभिन्न वस्तुओं को लाकर देखना है कि कौन सी वस्तु चुंबक से चिपकती है।
चुंबक के ध्रुव
चुंबक के दो ध्रुव होते हैं: उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव। जब हम चुंबक को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं, तो भी हर टुकड़े में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव बने रहते हैं। चुंबक का ध्रुव वह स्थान होता है जहाँ उसकी चुंबकीय शक्ति सबसे अधिक होती है। लोहरेतन (लौह कण) का प्रयोग करके यह देखा जा सकता है कि चुंबक के ध्रुवों पर अधिकतम लोहे के कण चिपकते हैं।
दिशाएँ ज्ञात करना
चुंबक की सहायता से दिशाओं का पता लगाना संभव है। यदि एक चुंबक को स्वतंत्र रूप से लटका दिया जाए, तो वह हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थिर हो जाता है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी स्वयं एक बड़ा चुंबक है। इसी सिद्धांत पर चुंबकीय दिशा सूचक (कंपास) काम करता है, जो एक छोटे चुंबक की सहायता से दिशाओं का संकेत देता है।
चुंबकों के बीच आकर्षण और प्रतिकर्षण
जब दो चुंबकों को एक दूसरे के पास लाया जाता है, तो उनके ध्रुवों के अनुसार उनका व्यवहार बदलता है। यदि दो चुंबकों के समान ध्रुव (उत्तरी-उत्तरी या दक्षिणी-दक्षिणी) को पास लाया जाए, तो वे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे। वहीं, विपरीत ध्रुव (उत्तरी-दक्षिणी) एक-दूसरे को आकर्षित करेंगे। इस प्रकार चुंबक का ध्रुवों का व्यवहार उनके बीच की परस्पर क्रिया को निर्धारित करता है।
चुंबक के प्रभाव का अध्ययन
चुंबक के प्रभाव को विभिन्न प्रकार की सामग्रियों के माध्यम से भी देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि चुंबक और कंपास की सुई के बीच लकड़ी का टुकड़ा रखा जाए, तो भी चुंबक का प्रभाव बना रहता है। इसका मतलब है कि चुंबकीय प्रभाव अचुंबकीय पदार्थों के माध्यम से भी संचरित हो सकता है।
चुंबकों का उपयोग और रखरखाव
चुंबकों का उपयोग मनोरंजन और शैक्षिक गतिविधियों में भी होता है। जैसे कि स्कूल मेले में चुंबक की सहायता से खेल और गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है। लेकिन चुंबकों को सही तरीके से रखना भी जरूरी है। इन्हें जोड़ों में और विपरीत ध्रुवों के साथ रखा जाना चाहिए, ताकि उनकी चुंबकीयता बनी रहे। तिवारी अकादमी पर उपलब्ध प्रश्न-उत्तर की मदद से छात्र इस अध्याय की बेहतर समझ प्राप्त कर सकते हैं।